The Ancient Love Story…Chapter 3

The Ancient Love Story…Chapter 3



Marriage preparations were going on in full swing. Udai was very curious to see Jeevant Kunwar. Her portrait had created confusion in his mind. It had become very magnetic for him and the pull was indescribable. Moreover, he was curious to know how she would be looking at present. Well, he had no choice but to wait to tie the knot.
Days passed and finally the D-day arrived. Our future Maharana was looking handsome like never in his wedding clothes. He was all decked up from top to bottom.
His turban was studded with diamonds, rubies and emeralds in peacock design. He was wearing a red outfit with gold embroidery on it. The ancestral necklace around his neck was studded with diamonds and emeralds. He was putting all the men to shame when it came to looks.
Everyone was ready for the wedding. As per tradition, the Bridegroom sat in the wedding pavilion eagerly waiting for his bride to come. The priest started to chant the wedding mantras, but our prince was just starring at the entrance. The priest then called Akhey Raj near him.
“Please call the bride now.” Said the priest in a lowered voice to the bride’s father.
Udai was feeling butterflies in his stomach when she entered. He could not see that young girl sitting to the other side of netted curtain but he could get few glimpse of his would be wife.
Udai was never so excited to see a woman, never felt that kind of excitement and curiosity to see a face of a girl, the girl whom god had chosen as his life partner. However, he could see that his excitement was matched with equal eagerness from other side to see him.
Udai smiled to himself with a satisfactions that it is not just him but someone else in that hall was as eager as he was.
Later, the netted curtain was raised and the princess came and sat besides Udai as per instructions by the priest. He could not see her because the long veil was covering her face. Udai could only smell her lovely perfume, which was being interrupted with the smoke of fire.
Soon they finished all the marriage rituals as the day settled down. Udai’s friends escorted him towards his room. First, he got confused to see his room. It was decorated as he had never seen before. He entered his room and door was closed behind him. Prince was nervous like anything. At one point he wanted knock the door and ask others to open it and let him out.
Udai was confused about what and how should he behave in front of the strange girl who was sitting on his bed and with whom he had to share his room and everything from that day.
Udai’s eyes moved to delicate, petite figure sitting on his bed. A gentle breeze blew through side window touched Jeevant’s soft cheeks. Her lips curved a little only to form the cutest smile he had ever seen or wished to cherish. The dim light of lamps falling on her beautiful face, which made her look like gold. This gave him a feeling of jolt of electricity passing through his veins.

Udai slowly moved towards the bed and stood at the other side, looking down to the prettiest face he ever came across. Even at the coldest hour of the night, she looked like warm sunshine. Udai’s eyes moved to her hands which tightly holding fistful of bed sheet, she was equally nervous. He thought he should do something to relax and make her feel comfortable. 

एक प्राचीन प्रेम कहानी......भाग 3

विवाह के सभी तैयारियां ज़ोरो-शोरो से चल रही थी. उदय जीवंत कँवर को देखने के लिए बहुत ही आतुर थे. उनकी तस्वीर ने उदय के मन में खलबली मच रक्खी थी. एक विचित्र सा खिचाव था जिसका वर्णन करना असम्भव था. इसके अतिरक्त वे यह जानना चेहते थे की जीवंत वर्तमान में कैसी दिखतीं हैं. किन्तु विवाह की प्रतीक्षा करने के अतिरक्त और कोई चारा नहीं था कुंवर के पास.
दिन निकलते गए और आखिर में वह क्षण आ ही गया. हमारे होने वाले महाराणा अत्यन्त रूपवान दिख रहे थे. ऊपर से लेके निचे तक सजे हुए थे.
उनकी पगड़ी हीरों, माणिकों और पन्नों से झड़ी मोर के आकर में सजी थी. लाल रंग की सर्वाणि पे सोने की झरी की कारीगरी की गयी थी. गले में पुश्तैनी हार हीरों और पन्नों से बन था. रूप के मामले में सभी को लज्जा में दाल दिया था.
सभी विवाह के लिए तैयार हो गए. रीत के अनुसार, बिंदराजा विवाह मंडप में आकर बैठ गए और करने लगे अपनी होने वाली पत्नी की प्रतीक्षा.पंडितजी ने मंत्र पढ़ना शुरू करते हैं, किन्तु कुंवर की आँखें तक रही थी जीवंत की राहें. पंडितजी ने अखेय राज को पास बुलाते हैं.
"अब वधु को मंडप में बुलाये." वधु के पिता से धीमे स्वर में बात करते हुए.
उदय के मन की खलबली बढ़ती ही जा रही थी. पतले से परदे के पीछे बैठी युवती को देख नहीं पा रहे थे उदय, किन्तु कुछ झलक मिल रही थी उन्हें अपनी होने वाली पत्नी की.
उदय कभी किसी लड़की को देखने के लिए आतुर कभी नहीं हुए थे. ऐसी जिज्ञासा कभी थी उसे देखने के लिए, जिसे ईश्वर ने उनकी जीवन संगिनी के र्रोप में चुना था. उन्हें इस बात इस बात का ज्ञात हो चूका था, की दूसरी और भी कुछ ऐसा ही हाल था,जैसा उनका था.
बाद में पंडितों की आज्ञा अनुसार पर्दा हटा और जीवंत कुंवर उदय के पास आकर बैठ गयी. वे राजकुमारी का चेहरा नहीं देख पाए, क्यूंकि उनका चेहरा घूँघट से धक हुआ था. उदय केवल उनके इत्र की सुगंध महसूस कर पा रहे थे, जिसमे बार-बार हवं का धुंआ बीच में आ रहा था.
दिन के ढलते हुए सभी रस्में पूरी हो गयी. उदय के मित्र उन्हें उनके शयन कक्ष में ले जाते हैं. पहले तोह उदय अपने कमरे को देखकर थोड़े स्तब्ध रह गए. इससे पहले उन्होंने अपने कक्ष को इतना सजा हुआ कभी नहीं देखा था. कक्ष में प्रवेश करते ही उनके पीछे कक्ष का द्वार बंध कर दिया जाता है. उदय अत्यन्त बेचैन हो उठे. एक क्षण के लिए तो ऐसा लगा के द्वार खट-खटाकर बहार अने दें उन्हें.
उदय यह सोचके परशान हो रहे थे.  उनका व्यवहार कैसे होना चाहिए, उस अंजान लड़की के साथ जो उस समय उनके शैय्या पर बैठी थी, और जिसके साथ उन्हें अपनी हर चीज़ बांटनी थी.
उदय की नज़रें अपनी शैय्या पर बैठी, नाज़ुक और सुन्दर सी युवती की और घूमी. पास की खिड़की से ठंडी हवा अंदर आ रही थी, जो जीवंत के कोमल गालों को छू रही थी.  उनके होठों पर एक मन हरनेवाली मुस्कान जिसे उदय ने पहली आर देखा, तो देखते ही रह गए. दीपक की मध्धम रौशनी जीवंत के चेहरे पर पद रही थी, मनो जैसा उनका अंग खरा सोना हो. उसे को ऐसा लगा जैसे मनो उनकी रगों में किसीने बिजली के तार छेड़ दिए हो.
उदय धीरे से शैय्या के नज़दीक जाते हैं और दूसरी ओर जगत की सबसे सुन्दर लड़की को देखते हुए खड़े हो जाते हैं. रात के उस समय में भी, जीवंत सूर्य की किरण जैसी लग रही थी. उदय की आँखें उसके हाथों पर पड़ी जिसने चादर को बड़ी दृढ़ता से अपनी मुठी के दबा कर रक्खा था. एव भी उतनी ही बेचैन थीं.उदय ने सोचा की उन्हें आरामदायक और निडर महसूस करवाने के लिए कुछ करना चाहिए.

Comments

Popular posts from this blog

The Ancient Love Story...Chapter 5

The Ancient Love Story...Chapter 1

The Ancient Love Story…Chapter 4