The Ancient Love Story…Chapter 4
The Ancient Love Story…Chapter 4
Udai cleared his throat breaking the silence.
“Don’t be scared. This is your room too now,” trying to relax his new wife. “I guess you are tired. You should sleep, you will feel better in the morning.” he assured her.
Jeevant seemed to relax a bit at that and released the clutched bed sheet. After a few seconds of silence, she looked up at him and smiled brightly. Udai was taken aback as those big black eyes twinkled when she smiled. She had beautiful and attractive feature in her eyes. Her eyeballs held the universe with big and black long eyes lashes. They could draw anyone in different world, away from everyone and everything.
“Why are you staring at me like that?” she asked in soft eyes. Udai came back to his senses and realized he was staring at her.
“No…Nothing,” he stuttered.
“Can I sleep here?” she asked sweetly and batted her long eyelashes. No one had a heart to deny the sweet request, at least Udai’s heart lacked it.
“Sure. It’s all yours,” he said loudly.
His answer was rewarded with twinkles again. “Where will you sleep then?” she enquired in a soft voice.
Udai looked around to find a place to lie down and found a couch, which was surely not meant for night sleep.
She followed his gaze and understood that there is not comfortable place to sleep other than the bed she is sitting on.
"If you don't mind we can share this bed," her sweet voice drew his attention.
"Are you sure?" prince asked to confirm.
"Yes," saying so she got up and started adjusting the bed, after a minute or so, wall of pillows divided the bed into two parts. One is for her and other one for Udai.
She settled on her side, patted the other side, and invited to the other side. Udai too gladly hopped on the other side.
"This is a brilliant idea. Now we both can share the bed," He appreciated her finding quick remedy to their tiny problem.
"Thank you," she said shyly.
"But how did you guess my discomfort of sleeping on that sofa?" he frowned.
"Umm... I don't know I just guessed it from your face," she answered with pure innocence and he accepted it.
"Okay, from today we'll share our things like this and we'll solve every problem as we are friends from today," she chirped.
"Friends?" he frowned again and her smiled dried. Seeing her puppy face he quickly said, "Oh yes, we are friends for lifetime."
With this promise soon, both drifted to sleep.
That was the day when two young hearts unaware about the true meaning of their relation promised to be friends forever and promised to be there for each other.
एक प्राचीन प्रेम कहानी....बाग़ 4
उदय अपना गाला साफ़ करते हुए सन्नाटे को तोड़ते
हैं.
"आपको भयभीत होने
की आवश्यकता नहीं है, अब यह आपका भी शयन कक्ष," अपनी नयी पत्नी को आश्वासन देते हुए.
"सम्भवता आप थक गईं हैं. विश्राम कीजिये, आपको सुबह अच्छा लगेगा." उन्हें आरामदायक
महसूस करवाते हुए.
जीवंत का भय कुछ काम हुआ और उन्होंने चादर से
भरी अपनी मुट्ठी खोली. कुछ क्षणों बाद, पलके उठाके उदय की और देख के मुस्कुरा देतीं
हैं. जीवंत की आँखें और मुस्कान देख कर कुंवर दंग रह गए. उनकी आँखों में एक सुन्दर
और आकर्षक विशेषता थी. उनकी आँखों में जैसा सारा भ्रम्हांड कैद हो गया हो. जो किसी
को भी एक अलग दुनिया में ले जा सकती है.
"आप हमें क्यों
घूर रहे है?" बड़ी विनम्रता से पूछते हुए. उदय ने होश सम्भाला तो जाना के
की वे जीवंत को घूर रहे थे.
"कुछ...कुछ नहीं," हड़बड़ाते हुए बोल
पड़े उदय.
"क्या हम यहाँ सो
सकते हैं?" पलक झपकाते हुए बड़े प्यार
से पूछतीं हैं. दुनिया में किसी के पास भी ऐसा ह्रदय नहीं था, जिसमें इतनी प्यार सी बिनती को अस्वीकार करने
की निष्ठुरता हो, काम से काम उदय के पास तोह बिकुल ही नहीं.
"हाँ-हाँ, क्यों नहीं," उदय झट से बोल
पड़े.
उस उतर ने जीवंत के चेहरे पर एक मुस्कान बिखेर
दी. "तोह फिर आप कहाँ सोएंगे?" चिंता जताते हुए जीवंत कँवर ने पूछा.
उदय लेटने के लिए आस पास एक स्थान ढूंढते हैं, और अंत में उनकी
दृष्टि जाके एक दिवान पलंग पर जा गिरी जो रात में सोने के लिए बिकुल पर्याप्त नहीं
थी.
उदय के चेहरे के हाव-भाव देख के जीवंत समज गईं
के उस दिवान पलंग पर रात में सोना असम्भव था और केवल एक ही स्थान था जहाँ वह सो
सकते सकते थे, और वह थी वह शैय्या जिसपर वे बैठी थी.
"यदि आपको कोई
समस्या न हो तोह हम दोनों इस शैय्या पर सो सकते हैं,"
जीवंत की मीठी आवाज़ ने उनका
ध्यान केंद्रित किया.
सच में?" कुंवर सत्यापन करते हुए.
"हाँ," स्वीकृति देकर
जीवंत शैय्या को थक करतीं हैं और बिस्तर को तकियों दो हिस्सों में बाँट देती. एक
हिस्सा उनका और दूसरा उनके अर्धांग का.
जीवंत अपने स्थान पर बैठ जातीं हैं और दूसरी ओर
बैठने के लिए आमंत्रित करतीं हैं. उदय भी ख़ुशी-ख़ुशी बैठ जातें हैं.
"यह बहुत ही अच्छा
विचार है. अब हम दोनों इस शैय्या पर सो सकते हैं," जीवंत के समस्या का समाधान ढूँढ़ने पर उनकी
सराहना करते हुए.
"धन्यवाद," जीवंत शरमाते हुए
बोली.
"किन्तु आपको कैसे
पता चला की हम उस दिवान पलंग पे ठीक से नहीं सो पते?"
उदय ने जिज्ञासा से पूछा.
"पता नहीं, शायद आपके चेहरे
के हाव-भाव के हम समझ गए," बड़ी सरलता और भोलेपन के साथ उत्तर दिया और उदय ने अपनी
स्वीकृति दी.
"ठीक है, आज से हम सभी
चीज़ें इसी तरह बांटेंगे और इसी तरह सभी समस्याओं को सुलझाएंगे, आज से हम मित्र
जो बन गए हैं." जीवंत चहकते हे हुए बोलीं."
"मित्र?" उदय का चेहरा
सिकुड़ने लगा और जीवंत की मुस्कान फीकी पड़ गयी. जीवंत के उतरते हुए चेहरे को देखकर
जट से बोल पड़े, "हाँ आजीवन के मित्र."
इस वचन के साथ दोनों गहरी नींद में सो गए.
उस दिन दो जवां दिलों ने अपने रिश्ते के असली
मतलब को जाने बिना एक दूसरे को आजीवन की मित्रता और साथ का वचन दिया था.
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